4 म्हिमैं दुःख तमा चइ रक्षा लब्मुँ, ङ्हाँदुमैंए प्हसेमैंलाइ जोगेब्मुँ, धै आगुए न्होह्रों लब्मैंलाइ चइ न्होंर प्लेवाब्मुँ!
तलेबिस्याँ दण्ड पिंबै म्हिउँइँले दु:ख योंबै म्हिलाइ जोगेमिंबै ल्हागिर चए क्योलोउँइँ खी रारिम्।
पैए प्हरे छेसि क्हि चमैंए म्रुँ तब्मुँ, सए भाँडो तिब् धोंले क्हिइ चमैं त्हुल भुँ लवाब्मुँ।’”
ओ याहवेह, क्हिए म्हिमैंलाइ चमैंइ प्लेम्, धै क्हिजी त्हाँबै म्हिमैंलाइ ह्रुगिदिम्।
बुद्धि मुँबै म्रुँइ दुष्ट म्हिमैंलाइ प्हुँवाब्मुँ, धै म्ल्ह-नारिमैं नेबै चक्कामैं चमैंए फिर दल्दिब्मुँ।
कनमैंइ मि म्रोंइमुँ, डुँड्मैं प्रइमुँ, कोर खब्मैं सइमुँ, न्ह आथेब्मैंइ न्ह थेइमुँ, सियाब्मैं सोइमुँ धै ङ्हाँदुमैंने परमेश्वरउँइँले खबै सैं तोंबै ताँ बिमिंइमुँ।
(ओ स्वर्ग, च सहर थुँयाब् म्रोंसि सैं तोंन्! ओ परमेश्वरए म्हिमैं, कुल्मिंबै चेला चिब्मैं नेरो अगमबक्तामैं क्हेमैं ताँन् सैं तोंन्। तलेबिस्याँ च सहरइ क्हेमैं बेल्ले दुःख पिंल, छतसि परमेश्वरजी चलाइ नास लवाइ।)
अगमबक्तामैं नेरो परमेश्वरए म्हिमैं सैवाबै को च सहर तिगोंन् तल, छलेन पृथ्बीर म्हिमैंइ सैवाब्मैंए को या च सहरर्न मुँल।”
खीजी ठिक निसाफ लम्। पृथ्बीर्बै ताँन् म्हिमैंलाइ ब्यभिचार लबर ल्हैदिसि न्होंवाबै च फ्यालुस्योलाइ खीजी दण्ड पिंइमुँ। छले खीए के लब्मैंलाइ सैवाबै खि खीजी किंइ।”