4 “ओ बुद्धि आरेब्मैं चुर खो!” बिदै ताँनलाइ हुइमुँ,
क्हिए ताँए अर्थ खोल्दिमिंमा ज्ञान बुद्धि योंमुँ, धै आह्र आसेब्मैं या ह्रब् सेब् तम्।
याहवेहए ठिम खोट आरेब मुँ, च ठिमइ सैं सिब्मैंलाइ भों पिंम्। खीजी बिबै ताँमैं भर लल् खाँब मुँ, आह्र आसेब्मैंलाइ च ताँइ बुद्धि पिंम्।
“ओ आमादुमैं, क्हेमैं खोंयों समा ज्ञान बुद्धिलाइ तो धोंइ आङ्हाँन्ले प्ररिमुँ? खोंयों समा आउलाइ प्ह्रबै ताँमैं लसि सैं तोंरिमुँ, ओ आमादुमैं, तले जा, क्हेमैंइ ज्ञान बुद्धिलाइ तो धोंइ आङ्हाँब?
आगुए प्ह्रेंस्योने प्रबै म्हि आमादु ग; चइ ह्रोंसन् नास लवाम्!
आह्र-आसेबै फ्रेंसिमैंए म्हाँजोर कत्ति क्होल् आखाँबै म्हि घ्रि ङइ म्रोंइ।
ओ बुद्धि आरेब्मैं, बुद्धि म्हैद्; ओ आमादुमैं, च्हैंब्-मैंब् लल् खाँब्मैं तद्।
“ओ बुद्धि आरब्मैं ओ ताँ आक्होब्मैं, चुर खो!” बिदै हुइम्।
च त्हेर्न येशूजी प्राथना लसि “ओ आबा, स्वर्ग नेरो पृथ्बीर्बै क्ल्हे, ङ क्हिलाइ धन्यबाद पिंम्, तलेबिस्याँ ज्ञान बुद्धि मुँ बिसि ह्रब्-सेब् प्हैंब्मैंउँइँले क्हिजी चु ताँमैं लोथेंइ। दिलेया कोलोमैं धों तबै तोइ आसेबै म्हिमैंलाइ क्हिजी चु ताँ क्होल् लमिंइ।
पबित्र प्ल्ह नेरो प्ह्रेंस्योइ खीने बिइमुँ, “यु”। चु ताँ थेबै म्हिमैंज्यै या छलेन खीने “यु” बिल् त्हुम्। क्यु पिब्मैं क्यु मूलर खरिगे। छ्ह पिंबै क्यु थुँदा ङ्हाँब्मैंइ छलेन् थुँरिगे।