6 ओ प्ल्हेगु, नौरो ङाँर ह्यासि चइ लबै के ङ्ह्योद्, धै बुद्धि मुँब् तद्।
नमेमैंइ म्रोंन्ले जाल् तिब फाक्कर्न ग,
क्युँइ स कृब धोंले धै मिखुइ मि ख्रोंब् धोंले, प्ल्हेगुलाइ के लबर कुलस्याँ, कुलबै म्हिलाइ चइ छलेन् दु:ख पिंब्मुँ।
प्ल्हेगु म्हि आयोंब्-आख्युब् तयाम्, दिलेय जाँगर खल्ले के लबै म्हि प्लब योब् तम्।
प्ल्हेगु म्हिइ ल्हें सै म्हैलेया चइ तोइ आयों, दिलेया भोंन्ले के लबै म्हिइ तोन्दोंरि योम्।
प्ल्हेगुए घ्याँ पुजुए बार मुँब् धों तम्, दिलेया सोजो म्हि प्रबै घ्याँ छ्याँबै मुल घ्याँ तम्।
लल् त्हुबै के युनन् आलबै म्हि न्होह्रों लबै म्हिए अलि धों तब् ग।
प्ल्हेगु तसेरो न्हरु ल्हें खम्, धै प्ल्हेगु म्हि फतेन् तब्मुँ।
प्ल्हेगुइ थलिर्न यो थेंरिमुँ, धै चइ यो क्वेसि ह्रोंसए सुँरै या आबो।
प्ल्हेगुइ ठिक त्हेर क्ल्या आक्ल्यो; छतसि बालि खुबै त्हेर चइ तोइ आयों।
के लदा आङ्हाँबइले प्ल्हेगु सिम्, तलेबिस्याँ चए योइ के लल् आम्है।
“बैरु सिंह मुँ! छतसि घ्याँर ह्यास्याँ ङलाइ सैवाम्!” बिसि प्ल्हेगु म्हिइ बिम्।
ओ ङए च्ह, थेद्, धै बुद्धि मुँब तद्, धै क्हिए सैंइ बुद्धिए ताँमैं मैंरिद्।
पृथ्बीर च्योंब सै प्लिथो मुँ, दिलेया चमैं बेल्ले बुद्धि मुँब मुँ:
नौरोमैं ल्हें भोंब आरे, दिलेया ख्वालबै त्हेर चमैंइ चबै सैमैं खुथेंम्;
ओ प्ल्हेगु, खोंयों समा क्हि रोरिमुँ? क्हि न्हरुउँइँले खोंयों छोरमुँ?
“छबिमा चए क्ल्हेजी चने बिइ, ‘ओ केर आत्हुबै प्ल्हेउ! ङइ आप्लुबै क्ल्ह्योर खैंमुँ, आटाबै क्ल्ह्योउँइँले खुमुँ बिसि क्हिइ सेस्याँ
मुर प्हुरबै नेमामैं ङ्ह्योद्। चमैंइ खेति या आल, रोमैं या आखु, चमैंला धन्सारमैं या आरे। दिलया क्हेमैंए स्वर्गर्बै परमेश्वर आबाजी चमैं चल् पिंम्। च नेमामैं भन्दा क्हेमैं झन् थेब आङिं वा?
प्ल्हेउ आतल्ले लल् त्हुबै केमैं लद्। सैं न्होंउँइँले आनारल्ले परमेश्वरए सेवा लद्।
क्हेमैं प्ल्हेउ आतद्, बरु बिश्वास लसि दुःखै या सैदिसि परमेश्वरजी पिंम् बिसि बाछा फैबै सैमैं योंबै म्हिमैं तद्।