11 ङइ क्हिलाइ बुद्धि योंबै ताँमैं लोमिंमुँ; धै ठिक घ्याँर डोरेमुँ।
खीजी ङ धबै सोगों लमिंमुँ। ङइ खीए मिं थेब लरिगे बिसि खीजी ङ ठिक घ्याँर डोरेमिंम्।
छतसि छ्याँबै के लसि छ्ह थोबै म्हिइ धोंले क्हिज्यै या छ्ह थोद्। धै ठिक के लब्मैंए घ्याँर प्रद्।
ङए आबाइ ङ लोदा सैंदा लदै “ङइ बिबै ताँमैं क्हिए सैंर थेंन्; ङइ बिबै ताँमैं ङिंन्, छलस्याँ क्हिइ छेनाले छ्ह थोब्मुँ,” बिमल।
ङ ठिक घ्याँर प्रम्, धै ठिक निसाफ लम्,
थेद्, ङइ पोंबै ताँमैं क्हेमैंए ल्हागिर केर फेम्, ङइ ठिक ताँ मत्त्रे पोंम्,
च्हैंब् मैंब् लल् खाँबै म्हिए ल्हागिर च छ्याँब मुँ, ज्ञान मुँबै म्हिए ल्हागिर च ठिक मुँ।
“ओ दियाबलसए च्ह! क्हि ताँन् छ्याँबै केमैंए शत्तुर, ताँन् दुष्ट सैमैंइ प्लिंब नेरो स्योर तेब! क्हि प्रभुए सोजो घ्याँ खेदा-ख्योदे लब खोंयोंन् बिलै आपि वा?