21 पृथ्बीलाइ त्हारल् लबै सैमैं सोंथो मुँ; पृथ्बीइ सैदिल् आखाँबै सै प्लिथो मुँ:
बुद्धि आरेबै म्हि सुख योंब आङ्हे, छलेन म्रुँए च्हमैं केब्छैंए न्होंर टिब झन् आङ्हे।
जुकाल च्हमि ङ्हिं मुँ: चमैंइ “पिंन्! पिंन्!” बिदै ओररिम्। खोंयोंइ सान्दोक् आतबै सै सोंथो मुँ; खोंयोंइ “योइ” आबिबै सै प्लिथो मुँ।
फ्रें क्ल्योंप्रबै च्हमिरिए चाल छाब् तम्: च म्हिने प्रमुँ, धै ज्यु ख्रुमुँ, झाइले “ङइ तोइ गल्ति आलइमुँ,” बिम्।
केब्छैं म्रुँ तब, बुद्धि आरबै म्हिमैं म्रेंन्ले चल् योंब,
याहवेहजी आखोबै बानिमैं ङिग्लो मुँ, ङिउलो ताँमैं खीए उँइँर बेल्ले आछ्याँब मुँ: