33 दुष्टमैंए धिंर याहवेहजी सराप पिंम्, ठिक के लब्मैंए धिंर बिस्याँ खीजी आशिक पिंम्।
च स्योंए रेर रुँइँबै सिंधुँ धोंन् तम्। चइ रो रोल् त्हुबै त्हेर रो पिंम्, धै चए प्हो खोंयोंइ आङ्योंलों। चइ तो के ललेया छ्याँब तम्।
याहवेहउँइँले आशिक योंब्मैंइ ह्युलए फिर क्ल्हे लब्मुँ, दिलेया खीउँइँले सराब योंब्मैं बिस्याँ नास तयाब्मुँ।
छतसि क्हिल तोइ नोक्सन् तरिब् आरे, क्हि टिबै धिं ङाँर ह्रिंमैं खरिब् आरे।
ठिक के लबै म्हिइ आशिक योंमुँ, दिलेया दुष्ट म्हिइ छ्याँ-छ्याँबै ताँ पोंलेया चए सैंर आछ्याँबन् तम्।
दुष्ट म्हिमैंए धिं फुवाब्मुँ, ठिक के लब्मैंल बिब् धोंन् तब्मुँ।
ठिक के लबै म्हिए धिंर सै न्होर ल्हें तम्, दिलेया दुष्ट म्हिइ कमैंबै सै न्होरइ चमैंए फिर्न दु:ख पम्।
दुष्ट म्हिमैंए धिंर तो-तो तइमुँ बिसि परमेश्वरजी सेम्; धै चमैंइ आछ्याँबै के लबइले खीजी चमैंलाइ नास लवाम्।