28 स्योलिबै ग्वाइ पिंमा निसाफ न्होंवाम्; धै दुष्ट म्हिइ आछ्याँबै ताँमैं छ्याँब ङ्हाँम्।
चमैंइ सैं न्होंर मैंइमुँ, “परमेश्वरजी खीए मोंडा ङउँइँले लोइमुँ, धै ङलाज्यै या म्लेवाइमुँ, छतसि ङइ लबै के या आम्रों।”
चमैंइ लबै केमैं खोंयोंन् बिलै चमैंए सैंर मैंब् धोंन् तम्। चमैं थेब् प्हैंरिम्, छतसि क्हिए ठिममैं चमैंउँइँले ह्रेंगो तम्। चमैंइ ह्रोंसए ताँन् शत्तुरमैं प्ह्रम्।
ताँ क्होबै म्हिइ ज्ञानए ताँ म्हैम्, दिलेया आमादुमैंए सुँइ आछ्याँबै ताँमैं पोंम्।
दुष्ट म्हिइ आछ्याँबै के मत्त्रे लप्रम्, धै चइ पोंबै ताँइ म्हिमैंए सैं नल् लम्।
ओ ङए च्ह, अर्थिए ताँमैं थेब् पिवाइ बिस्याँ ज्ञानए ताँमैं क्हिइ योंरिब् आरे।