12 म्रुँ ह्रिस खब सिंह ङ्हेब् धों तब् ग, दिलेया म्रुँइ ल्हयो खस्याँ छिर्बै शीत धों तम्।
परमेश्वरजी मुउँइँले शीतमैं कुल्मिंरिगे धै क्हिए म्रोंर ल्हें रा-रोमैं रोरिगे।
दिलेया चइ खो बिसि सँउँसर कुलसेया म्रुँस्यो बश्ती आखमा म्रुँ मि धोंलेन् लुँबै ह्रिस खइ।
झाइले म्रुँ दरबारए बगैंचाउँइँले अँगुरए प्हा थुँबै क्ल्ह्योर धबै एखमा एस्तर रोबै सोफाए फिर हामान क्रेरिब म्रोंइ। छाब् म्रोंसि म्रुँ ह्रिस खसि “चुइ ङए धिंर, ङए ओंसोंन् म्रुँस्योलाइ न्होंवाल् म्हैमुँ उ तो जा?” बिसि ओरइ। म्रुँइ छ बिबै तोदोंन् हिचडमैंइ हामानए लि हुवाइ।
हेर्मोन बिबै कोंर्बै शीत धोंन् च छ्याँब तम्! च शीत सियोनर्बै कोंमैंर युम्। चर्न खोंयोंइ आखाँबै छ्ह योंबै आशिक युरिगे बिसि याहवेहजी बिइमुँ।
छि खैंवाबै चउरर युबै नाँ धों तब नेरो स क्योबै झरि धों तब च तब्मुँ।
ह्रिस खसि ङ्हेबै सिंहने ङ्हिंब् धोंलेन् ह्रिस खबै म्रुँने ङ्हिंन्; म्रुँलाइ ह्रिस खल् लबै म्हि सिल् त्हुम्।
दुष्ट म्रुँइ ग्याल्स लमा ङ्हाँदुमैं झन ङ्हाँदु तम्, छाबै म्रुँ ग्राँ-ग्राँ बिबै चें नेरो ह्वाखबै भलु धों तब् ग।