16 बुद्धि मुँबै म्हिइ च्हैंसि मैंसि के लम्, दिलेया आमादुमैंइ तोइ आच्हैंन्ले के लम्।
सैं प्ल्हसि छे पिंब नेरो भर म्हाँदिल् खाँबै के लरिबै म्हिल बिब् धों मैंब् धों तम्।
ताँ क्होबै म्हिए सैंर बुद्धि तम्, दिलेया आमादुमैंने बुद्धि मुँबै ताँमैं कति आरे।
बुद्धि मुँबै म्हिइ ठिक ताँमैं पोंम्, दिलेया आमादुमैंइ बुद्धि आरेबै ताँमैं लम्।
आमादुमैंइ ताँ क्होदा आङ्हाँ; चमैं ह्रोंसए ताँ फिर लल् योंस्याँ मत्त्रे सैं तोंम्।
ह्रिस खदै ओग्रोंले के लबै म्हिलाइ “घमण्डि” बिम्, च दयाम्हाँया आरेब नेरो बुद्धि आरेब् तम्।
“ङ्ह्योद्! ङइ क्हेमैं प्याँगुमैंए म्हाँजोर क्यु धोंले कुलरिइमुँ। छतसि क्हेमैं प्हुरि धोंले बाठो, तोंगु धोंले सोजो तसि टिल् त्हुम्।
दिलेया क्हेमैंइ सैं तोंबै ताँ छेनाले म्हाँदिसि च अनुसार प्रम् बिब ताँनइ थेइमुँ। चु ताँर ङए सैं बेल्ले तोंइमुँ। अझै क्हेमैं छ्याँबै के लबर सिपालु तरिगे, धै आछ्याँबै केमैंए छ्याब क्हेमैंए फिर आखरिगे बिब ङए सैं मुँ।
ओ अलि-अङाँमैं, च्हैंब्-मैंब् लल् त्हुबै केर कोलोमैं धों आतद्। आछ्याँबै केर कोलोमैं धों तद्, दिलेया च्हैंब्-मैंब् लल् त्हुबै केर पाको म्हि धों तद्।
बुद्धि आरेब्मैं धों आतद्, प्रभुजी खोबै के तो जा बिसि क्होद्।