28 ह्रोंसए सै न्होरए फिर भर लबै म्हि फापिल् त्हुम्, दिलेया ठिक के लबै म्हि पिङ्ग्या प्हो धोंले म्रौलेब्मुँ।
च स्योंए रेर रुँइँबै सिंधुँ धोंन् तम्। चइ रो रोल् त्हुबै त्हेर रो पिंम्, धै चए प्हो खोंयोंइ आङ्योंलों। चइ तो के ललेया छ्याँब तम्।
प्लबै म्हिमैंइ खेंमैंए सै न्होरए फिर थेब् प्हैंसि ङलाइ म्हि आच्हिन् ललेया ङ ङ्हिंरिब् आरे।
धुदिबै केर भर आतद् धै ह्योबै सैर थेब् आप्हैंन्; क्हिए सै न्होर ल्हें तलेया चए फिर भर आथेंन्।
प्लबै म्हिए सै न्होर चए ल्हागिर भोंबै सहर ग; ङ्हाँदुमैं बिस्याँ दु:ख योंसि नास तयाम्।
दिलेया चइ छले मैंरिमा परमेश्वरजी चने बिइ, ‘ओ आमादु! तिंयाँ म्हुँइँसर्न क्हि सिल् त्हुब्मुँ। तारे क्हिइ साँथेंबै सै न्होर खाबल् तब्मुँ?’”
चु ह्युलर्बै प्लबै म्हिमैंने थेब् आप्हैंन् बिद्, चमैं प्लब् आप्हैंरिगे, आटिक्दिबै सै न्होरर आशा आथेंरिगे, बरु चमैंए आशा ङ्योलाइ चैदिबै सैमैं तोन्दोंरि योल्ले ख्युल्ले पिंबै परमेश्वरए फिर थेंरिगे।