29 तलेबिस्याँ चमैंइ ज्ञान बुद्धिए ताँमैं तो धोंइ आङ्हाँ, धै याहवेहने या आङ्हिं,
“ओ आमादुमैं, क्हेमैं खोंयों समा ज्ञान बुद्धिलाइ तो धोंइ आङ्हाँन्ले प्ररिमुँ? खोंयों समा आउलाइ प्ह्रबै ताँमैं लसि सैं तोंरिमुँ, ओ आमादुमैं, तले जा, क्हेमैंइ ज्ञान बुद्धिलाइ तो धोंइ आङ्हाँब?
झाइले क्हिइ बिब्मुँ, “ओहो, ङ खै तदा ङ्हाँमुँ छान् तप्रइ, लोदा सैंदा लमा ङइ आङिं!
तलेबिस्याँ चइ बिबै ताँमैं क्हिए ल्हागिर बत्ति ग, धै लोदा सैंदाए ताँमैं क्हिलाइ घ्याँ तेंबै ह्वे ग, धै बानि छ्याँब् तरिगे बिसि हौदिमा छ्याँबै छ्ह थोबर क्हिलाइ घ्याँ उँइँम्।
दिलेया ताँ घ्रि मत्त्रे चैदिम्। काजी मरियमइ च छ्याँबै ताँ त्हाँइ। छतसि च ताँ चउँइँले ङइ प्हेंरिब् आरे।”
तलेबिस्याँ दुष्ट के लब्मैंइ चारबै ह्वेलाइ आखो, तलेबिस्याँ खेंमैंइ लबै के म्हिमैंइ म्रोंवाब्मुँ बिसि चमैं चारबै ह्वेर आखा।
पाप लसि तिस्याँदे सुख योंब् भन्दा बरु परमेश्वरए म्हिमैंने दुःख योंसिन् टिब चइ त्हाँइ।