16 “धिक्कार मुँ, क्हेमैं कन अगुवामैं! ‘खाबज्यै मन्दिरए मिंर कसम चलेया तोइ आत बिमुँ, दिलेया मन्दिरर मुँबै माराए मिंर कसम चमा च कसम ल्हैदिम्,’ बिसि चमैंइ लोमिंम्।
छतसि च फरिसीमैं म्रोंसि तोइ न्हुँ आलद्। चमैं कन अगुवामैं ग। कनइ कन डोरिदिस्याँ, ङ्हिंना ङ्हिंन् होंल्दोंर पायाम्।”
“धिक्कार मुँ, शास्त्रिमैं नेरो फरिसीमैं, क्हेमैं फिब्लो पार्दिब्मैं! स्वर्गर्बै ग्याल्सर होंल् म्हैबै म्हिमैंलाइ क्हेमैंइ म्रा तोरवाम्। क्हेमैं ह्रोंसै या आहों, होंल् म्हैब्मैंलाज्यै या होंल् आपिं।
ओ बुद्धि आरेबै कनमैं, मारा थेब उ, मारालाइ पबित्र लबै मन्दिर थेब् जा?
ओ कनमैं, चडिदिबै भेटि थेब उ, चडिदिबै भेटिलाइ पबित्र लबै क्ल्ह्यो थेब् जा?
ओ कन अगुवामैं, क्हेमैंइ मोसोम् (भुसुना) चिसि ट्हुइमुँ, दिलेया सलु बिस्याँ क्ल्ह्योंवाम्!
ओ कन फरिसीमैं, ओंसों थलि नेरो प्हेलाए न्होंउँइँ म्यासि ख्रुद्, छलस्याँ बैरु या छ्याब तब्मुँ।
ङ धबै चु ताँ बिम्: यहूदी ठिमर बिब् धोंले खाबइ ज्युर चिनु लमुँ, चइ ठिमर्बै ताँमैं ताँन् छेनाले म्हाँदिल् त्हुम्।
ओ अलि-अङाँमैं, ताँन् भन्दा थेबै ताँ चुन् ग: स्वर्ग, पृथ्बी नेरो अरु तोइ सैए मिंर कसम आचद्। बरु ह्रोंस छ्याब आरेब् तबै ल्हागिर क्ह्रोंसेंन्बै ताँ मुँस्याँ “ङिंबन्” बिद्, आङिंबै ताँ मुँस्याँ “आङिं” मत्त्रे बिद्। खै तमुँ, छान् बिद्।