47 “धिक्कार मुँ, क्हेमैं क्रोल् त्हुम्! तलेबिस्याँ क्हेमैंए खेमैंइ सैवाबै स्योंम्बै अगमबक्तामैंए मान लब् प्हैंसि क्हेमैंइ छ्याँबै देवलमैं बनेमुँ।
“धिक्कार मुँ, शास्त्रिमैं नेरो फरिसीमैं क्हेमैं फिब्लो पार्दिब्मैं! क्हेमैं चुनइ स्यालबै छगों धों तब मुँ। च छगों बैरुउँइँले ङ्ह्योमा छ्याँब म्रोंम्, दिलेया न्होंर सिबै म्हिए ह्रिब नेरो क्राँरिबै से मत्त्रे तम्।
क्हेमैंइ छलमा ‘ङिए खेमैंए केमैं ठिकन् मुँल,’ बिमुँ। तलेबिस्याँ चमैंइ स्योंम्बै अगमबक्तामैं सैवाइ, दिलेया क्हेमैंइ चमैंए ल्हागिर देवल बनेइ।
“ओ, आच्योबै म्हिमैं, सारो सैं प्ह्याब्मैं नेरो न्ह आथेब्मैं! क्हेमैंइ खोंयोंन् बिलै पबित्र प्ल्हए बिरोध लइमुँ। क्हेमैंए खेमैंइ लब् धोंले क्हेमैंज्यै या छान् लइमुँ।
च यहूदीमैंइ प्रभु येशू ख्रीष्ट नेरो स्योंम्बै अगमबक्तामैं सैवाइ, धै ङिलाज्यै या ल्हें दुःख पिंसि ल्हावाइ। छले चमैंइ ताँन् म्हिमैंए बिरोध लसि परमेश्वरए सैं नल् लइमुँ।