21 म्रुँइ त्हाँबै त्हिंइर म्रुँमैंइ खिबै क्वें खिसि हेरोद चए राजगद्दिर क्हुँसि चमैंए उँइँर भाषण लइ।
तोन् तोर्न थेब् प्हैंबै म्हि नास तयाब्मुँ, कुरबै म्हिइ मान योंब्मुँ।
पिलातस निसाफ लबै क्ल्ह्योर क्हुँरिबै त्हेर चए प्ह्रेंस्योइ चलाइ छ बिसि सउँसर पिमिंइ, “च छ्याब् आरेबै म्हिलाइ तोइ आलद्, तलेबिस्याँ च म्हिए कारणइ लमा तल् म्हुँइँसर म्होंडर ङइ ल्हें दुःख योंइ।”
हेरोद टुरोसथेंमैं नेरो सिदोनथेंमैने बेल्ले ह्रिस खल। चमैंए ह्युलर्बै म्हिमैंइ चबै सैए ल्हागिर म्रुँए ह्युलने आड किंल् त्हुमल। छतसि चमैं ताँन् खागु तसि म्रुँ ङाँर खइ, धै चमैंइ म्रुँए दरबारर्बै के लब्मैंए चिब बलस्तसने न्हों-न्हों सुँने सुँ क्ह्रिबै ल्हागिरि यो छ्युँ लइ।
छतमा म्हिमैंइ “चुम् म्हिए ताँ आङिं! देवताए ताँ ग!” बिसि हेरोदए मिं थेब् लसि ओरइ।
ङ्हरो लिउँइँ ख्रो पिंबै खेगि क्रथे हननिया नेरो को-कोइ चिबनाँब्मैं नेरो तर्तुल्लस मिं मुँबै वकिल घ्रि चर युसि पावलए बिरोधर रोमी क्रथे ङाँर मुद्दा झोंइ।
प्हँन्हाँग्धों अग्रिपास नेरो बरनिकि थेबै मानले खइ। धै रोमी पल्टनर्बै चिब्मैं नेरो कैसरिया सहरर्बै चिबनाँब्मैंने थेबै च्हों धिं न्होंर होंइ। धै फेस्तसइ “पावल चुर पउ!” ल्हैदिमा सिपाइमैंइ च पखइ।