किलैकि मि जणदु छौं, कि मेरा सभौ मा कुछ भि भलु नि च, हाँ मेरा भितर कुछ भि अच्छु नि च, किलैकि मेरा मन मा भलै करण की मनसा च, मगर मि फिर भि वीं भलै तैं अच्छे से नि कैरी सकदु।
अर ईं बात तैं याद रखा, कि अगर जु तुम सच्चि मा मदद करण चाणा छाँ, त अपणी-अपणी हैसियत का मुताबिक दे सकद्यां, ताकि या बात देखि के पिता परमेस्वर खुश हो। किलैकि पिता परमेस्वर इन इच्छा नि रखदु कि कु मितैं कथगा द्यालु, यू त तुमरि गुंजैस का मुताबिक च कि कु कथगा देण चाणु च।