20 मगर जु लोग यों पीड़ाओं मा बटि भि बचि गैनी ऊंन फिर भि अपणा-अपणा कामों से पस्ताप नि कैरी बल्किन मा खबेसों अर सोना-चांदी, पीतळ, ढुंगो अर लखड़े की बणि मूरतों तैं पूजणा रैनी, जु कि नऽ त देखि सकदिन, ना सुणी सकदिन, अर ना ही चलि-फिरी सकदिन।
20-21 पर और लोग जु ऊं विपत्तियों बट्टी पैली नि मरै गै छा, ऊंल अभि भि अपड़ा बुरा कामों बट्टी पछतौ नि कैरी छो। ऊंल हत्या कन, टूणा-टुटगा, यौन अनैतिकता या चोरी कन बट्टी पछतौ नि कैरी। ऊंल दुष्टात्माओं अर अपड़ी हथों बट्टी बंणि चीजों की आराधना कन भि नि छोड़ी, जन कि सोना या चाँदी या पितले या ढुंगा अर लखड़ो ल बणईं मूर्तियां, उ मूर्तियां, न त दिखदी छिनी, न सुणदींनि, अर न ही चलदी छिनी।
अर यू मि इलै बोन्नु छौं किलैकि यूहन्ना बपतिस्मा देण वळु यू बतौणु खुणि ऐ कि मनखि तैं कनकै धरमी जीवन जीण चयेणु, अर तुम लोगु न वेकी बातों पर बिस्वास नि कैरी, पर चुंगी लेण वळो न अर वेश्याओं का जन दुसरा पापि लोगु न वेकी बातों पर बिस्वास कैरी। अर यू दिखण का बाद भि तुम लोगु न मन से पस्ताप नि कैरी, अर ना ही वेकी बातों पर बिस्वास कैरी।”
“इलै अब जब हम वेकी औलाद छां, त हम लोगु तैं इन नि सुचण चयेणु, कि परमेस्वर सोना, चांदी या ढुंगो की बड़ी मूरत का जन च। अरे, यों मूरतों तैं मनखि अपणा सोच-विचार अर कारिगरी का द्वारा बणौन्दु।
अर तुमुन अफि देखि अर सुणी भि च कि ये पौलुस न इफिसुस नगर मा ही ना, मगर आसिया मुलक का लगभग सब नगरों का लोगु तैं भकलैयेलि। अर उ इन बुल्दु, कि हाथों द्वारा बणईं मूरत द्यबता नि छिन।
अर मितैं ईं बात कि चिन्ता च कि जब मि तुमरा पास फिर से औलु, अर अगर जु तुमरा बीच मा भौत सा लोग अभि भि अपणा पुरणा पापों मा ही फंस्यां छिन, अर अपणा मनों मा गळत विचार रखदिन, या सरील का गळत सम्बन्ध रखणा छिन, जौन अपणा यों पापों से पस्ताप नि कैरी त मितैं तुमरि खातिर दीन होण पोड़लु, अर पिता परमेस्वर का समणि रुंण पोड़लु।
फिर मिन स्वर्ग मा एक और बड़ु अदभुत चिन्न देखि की सात स्वर्गदूत छा, जौं का पास सात विपदा छै। अर यू आखिरी विपदा छै, अर येका दगड़ा-दगड़ि परमेस्वर को परकोप पूरु ह्वे जान्दु।