10 तब ऊ चौबीस अध्यक्ष राजगद्दी पर बैठण वळा का समणि भ्वीं मा पोड़ि के वेकी भक्ति करदिन, जु कि हमेसा-हमेसा तक ज्यून्द च। अर अपणा-अपणा मुकुट तैं निकळि के वेकी राजगद्दी का समणि रखदिन अर इन बुल्दिन कि,
अर जब ऊ वे घौर मा गैनी, त ऊंन बच्चा तैं वेकी माँ मरियम का दगड़ा मा देखि। अर अपणा-अपणा थैलों तैं खोली के सोना, लोबान, अर गंधरस उपहार का रुप मा देके बच्चा को आदर-सम्मान कैरी।
बल्किन मा पिता परमेस्वर न मि पर अपणी किरपा कैरी, इलै आज मि भि एक खास चेला छौं। अर ज्वा किरपा वेन मि पर कैरी वा बेकार नि गै, किलैकि मिन दुसरा खास चेलों से जादा मेनत कैरी। अर सच्चै त या च कि या मेनत पिता परमेस्वर की वीं किरपा न कैरी ज्वा कि मेरा दगड़ा मा च।
तब मिन देखि, कि स्वर्ग मा पिता परमेस्वर राजगद्दी पर बैठयूं च, अर चौबीस अध्यक्षों न अर चार ज्यून्दा पराणों न भ्वीं मा पोड़ि के वेकी भक्ति कैरिके बोलि, “आमीन, हाल्लेलूय्याह।”
अर जब वेन वु ले, त चार ज्यून्द पराण अर चौबीस अध्यक्ष मेम्ना का समणि भ्वीं मा पोड़ि गैनी। अर हर अध्यक्ष का हाथ मा बीणा अर सोना का कटोरा छा, जु कि धूबत्ती से भोर्यां छा जैको मतलब बिस्वासी लोगु की प्रार्थना से च।
अर राजगद्दी का चौतरफि सब स्वर्गदूत, अध्यक्ष अर चरी पराण खड़ा होयां छा, अर ऊंन राजगद्दी का समणि भ्वीं मा पोड़ि के पिता परमेस्वर की भक्ति कैरिके बोलि कि,