दिब्य दरस 3:19 - Garhwali19 “जौं लोगु से मि प्यार करदु ऊं सभ्यों तैं मि डांटदु अर अनुसासन मा लेके औन्दु, इलै पस्ताप कैरा अर बिस्वास मा गरम ह्वे जा। အခန်းကိုကြည့်ပါ။गढवली नयो नियम19 मि जै तैं भि प्रेम करदु, वे तैं मि सिखांदु अर सजा भि दींदु कि उ अच्छा बण जा। इलै मन फिरावा अर अच्छै कन मा लगयां रावा, पापमय काम कन बंद कैर द्या। အခန်းကိုကြည့်ပါ။ |
देखा, परमेस्वर की मनसा का मुताबिक जु दुख तुमतै ह्वे वां से तुमरा भितर इथगा इच्छा पैदा ह्वे, कि तुमुन खुद पर लग्यां कलंक तैं दूर करण की हिम्मत दिखै। अर अपणी गळती पर तुम सरमसार होयां, अर तुमरा भितर परमेस्वर की डौऽर पैदा ह्वे, अर यां की वजै से जु जबरदस्त इच्छा अर जोस तुमरा भितर पैदा ह्वे, वेकी वजै से तुमुन अपणी गळती सुधारी अर इन साबित कैरी कि तुम ये मामला मा बेदाग छाँ।