25 अर वेका गेट कभि भि बन्द नि होला, किलैकि उख कभि भि रात नि होलि।
25 वे शहर का फाटक दिन भर खुल्यां रौदींनि। उ कभी बंद नि हूंदींनि किलैकि उख कभी रात नि हूंदी।
नगर की दिवाल भौत बड़ी अर ऊँची छै, अर वेमा बारह गेट छा। अर यों पर बारह स्वर्गदूत बैठयां छा, अर ऊं गेटों पर इस्राएल का बारह गोत्रों का नौ लिख्यां छा।
अर जु स्वर्गदूत मेरा दगड़ा मा बात कनु छौ, वेमा ये नगर अर वेकी दिवालों अर वेका गेटों तैं नपणु खुणि सोना को एक फीता छौ।
वे नगर तैं उज्याळु देणु खुणि सूरज अर चाँद की जरुरत नि च, किलैकि परमेस्वर को तेज वेतैं उज्याळु देन्दु, अर यीशु वेको द्यू च।
फिर उख कभि भि रात नि होलि अर ना ही ऊंतैं सूरज या द्यू का उज्याळा की जरुरत होलि, किलैकि प्रभु परमेस्वर खुद ऊंको उज्याळु होलु, अर ऊ हमेसा-हमेसा तक राज करला।