अर जु कुई वे पुत्र पर बिस्वास करदु, वेतैं ही सदनि को जीवन मिलदु। अर जु कुई पुत्र पर बिस्वास नि करदु, वेतैं जीवन नि मिललु, बल्किन मा परमेस्वर को परकोप वे पर पोड़दु।”
इलै ईं बात तैं याद रखा कि, जब पितर मूसा न इस्राएली लोगु तैं परमेस्वर को रैबार सुणै त ऊं लोगु न आज्ञा को पालन नि कैरी अर वु लोग नि बचि सकिनी, इलै चौकस ह्वे जा किलैकि अब जब परमेस्वर सीदा स्वर्ग बटि हम से बात करदु, अर अगर अब हम भि आज्ञा नि मणद्यां त हम कनकै बचि सकुला।
त सोचा, अगर जु हम छुटकारा पौण वळा बाटा तैं स्वीकार नि करुला, त हम वेका दण्ड से बचण की उम्मीद कनकै कैरी सकद्यां? अर सबसे पैलि पिता परमेस्वर न ही ईं बात का बारा मा बतै, अर जौं लोगु न वेका रैबार तैं सुणी, ऊंन हमतै यू साबित कैरिके दिखै दिनी कि वा बात सच्चि छै।
तब दैंत पकड़ै गै, अर वेका दगड़ा-दगड़ि झूठ्ठु रैबर्या भि पकड़ै गै जु की दैंत का द्वारा चमत्कार दिखै के लोगु तैं भरमै देन्दु छौ। अर यू वु लोग छा जु कि मूरत की पूजा करदा छा अर ऊं पर दैंत की मोर लगीं छै, तब यों दुईयों तैं ज्यून्द ही वीं आग की झील मा डळै गै, ज्वा कि गंधक से जगणी रौन्दी।
तब मिन राजगद्दी का समणि छुटा-बड़ा सब मुरयां लोगु तैं खड़ु होयुं देखि, अर किताब खुलै गैनी अर वेका बाद एक और किताब खुलै गै ज्वा कि जीवन की किताब च। अर यों किताबों मा लिखी बातों का मुताबिक ही, सब मुरयां लोगु को न्याय ऊंका कामों का मुताबिक किये गै।
जु जीत हासिल करलु वेतैं पैरणु खुणि इन्नि सफेद कपड़ा दिये जाला, अर मि वेको नौ जीवन की किताब मा बटि नि मिठौलु, मगर मि अपणा पिता अर वेका स्वर्गदूतों का समणि वेका नौ तैं स्वीकार करलु।