हे कफरनहूम नगर का लोगु, तुम क्या सोचद्यां कि तुमतै स्वर्ग तक ऊँचो किये जालु, ‘नऽ रे ना’ तुमतै त अधलोक मा डळै जालु, किलैकि सामर्थ का जु काम तुम लोगु का बीच मा किये गैनी, अगर वु सदोम नगर मा किये जान्दा, त वु नगर आज तक बणयूं रौन्दु।
किलैकि मनखि को पुत्र अपणा स्वर्गदूतों का दगड़ा अर अपणा पिता की सामर्थ मा वापस औण वळु च, अर वे बगत ‘उ हरेक मनखि तैं वेका कामों का मुताबिक बदला मा ऊंतैं द्यालु।’
मि वींका बच्चों तैं महामारी भेजि के मरलु, ज्यां से कि बिस्वासी समुदाय का सब लोग जाणि जाला कि मि उई छौं जु कि मनखियों का मन अर दिल की बातों तैं जणदु च, अर मि हरेक तैं वेका कामों का हिसाब से द्यूलु।
तब मिन राजगद्दी का समणि छुटा-बड़ा सब मुरयां लोगु तैं खड़ु होयुं देखि, अर किताब खुलै गैनी अर वेका बाद एक और किताब खुलै गै ज्वा कि जीवन की किताब च। अर यों किताबों मा लिखी बातों का मुताबिक ही, सब मुरयां लोगु को न्याय ऊंका कामों का मुताबिक किये गै।
अर परमेस्वर ऊंका आंख्यों का सब आंसुओं तैं फुंजी द्यालु, फिर नऽ त मौत रैलि, ना शोक, नऽ रुंण-धुण अर ना ही कुई पीड़ा, किलैकि जु बात पैलि छै अब वु सब खतम ह्वे जालि।”
तब मिन एक हलकु पीला रंग को एक घोड़ा निकळद देखि, अर वेमा सवार पराण को नौ छौ, मौत। अर अधलोक वेका पिछनै-पिछनै छौ। अर वेतैं धरती का चार हिस्सों मा बटि एक हिस्सा पर अधिकार दिये गै, कि ऊ तलवार बटि, अकाळ बटि, जान से मरण वळी महामारी बटि, अर जंगळि जानबरों का द्वारा लोगु तैं जान से मारी द्यो।