दिब्य दरस 13:3 - Garhwali3 अर वे दैंत का मुण्ड़ पर एक इन्दरि चोट लगि छै कि वेका बचण की उम्मीद नि छै, मगर वेको उ घौ खूब ह्वे गै। अर वेका खूब होण की वजै से पूरि धरती का लोग बड़ु ताजुब कैरिके वेका पिछनै-पिछनै चलण लगि गैनी। အခန်းကိုကြည့်ပါ။गढवली नयो नियम3 मिल वेका मुंड मा बट्टी एक पर इन भारी घाव लग्युं देखि, जन मांणा उ मुरण वलो हो; फिर वेको उ जान लींण वलो घाव खूब हवे गै, अर सैरी धरती का लोग वे जानवर का पिछनै भौचक हवे के चलण लगि गैनी। အခန်းကိုကြည့်ပါ။ |
अर उ धरती का लोगु तैं भरमौणु रै, किलैकि ये दैंत का पास समुन्दर वळा दैंत की तरौं चमत्कार करण को अधिकार दिये गै। अर ये दैंत न धरती का लोगु तैं समुन्दर वळा दैंत की मूरत बणौणु कू बोलि, हाँ वे ही दैंत की जैका मुण्ड़ पर तलवार से एक इन्दरि चोट लगि छै कि वेकी बचण की उम्मीद नि छै, मगर वेको उ घौ खूब ह्वे गै छौ।
अर जु दैंत तिन देखि, पैलि उ ज्यून्द छौ पर अब वु मोरि गै, मगर उ फिर से ज्यून्द ह्वेके अधलोक बटि निकळि के आलु, अर वेको नास फिर से ह्वे जालु। अर धरती पर रौण वळा जौं लोगु का नौ दुनियां की शुरुवात बटि जीवन की किताब मा नि लिख्यां छिन, वु सब लोग वे दैंत का दगड़ा मा जु कुछ भि ह्वे देखि के बड़ु ताजुब करला।