दिब्य दरस 13:16 - Garhwali16 अर वेन सब लोगु तैं अपणा दैंणा हाथ या माथा पर मोर लगौणु खुणि मजबूर कैरी अब चै वु छुटा हो या बड़ा, सेठ हो या गरीब, आजाद हो या गुलाम, सब तैं। အခန်းကိုကြည့်ပါ။गढवली नयो नियम16 अर दुसरा जानवर ल महत्वपूर्ण अर महत्वहीन, साधारण अर विशेष, स्वामी या जु गुलाम छिनी मतलब सभि लुखुं तैं मजबूर कैरी कि उ पैला जानवर का नौं अपड़ा दैंणा हथ पर या अपड़ा माथा पर लिखा, အခန်းကိုကြည့်ပါ။ |
अर जब देस-देस का लोग तुम से गुस्सा ह्वेनि, त तुमरो परकोप ऊं पर भड़की गै। अर अब वु बगत ऐ गै जब तुम मुरयां लोगु को न्याय करिल्या, अर अब तुमरा सेवकों, रैबर्यों, अर सब पवित्र लोगु, अर जथगा भि लोग तुमरा नौ पर सरदा रखदिन ऊं सब सेवकों तैं इनाम दिये जालु, चै वु छुटा हो या बड़ा, मगर जौं लोगु न धरती तैं बरबाद कैरी तुम ऊंतैं खतम कैरी दिल्या।”
तब मिन राजगद्दी देखि अर ऊं लोग की आत्माओं तैं भि देखि जु कि राजगद्दी पर बैठयां छा, जौं का मुण्ड़ यीशु की गवै देण अर परमेस्वर का वचन तैं बतौण की वजै से कटै गै छौ। अर यू वु आत्मा छिन जौं तैं परमेस्वर न न्याय करण को अधिकार दिनी। अर यों न नऽ त दैंत की, अर ना ही वेकी मूरत की पूजा कैरी, अर ना ही अपणा माथा या हाथ पर वेकी मोर लगवै, वु सब ज्यून्दा ह्वे गैनी, अर ऊंन राजा बणि के मसीह का दगड़ा मा एक हजार साल तक राज कैरी।