तब यीशु न भीड़ का लोगु कू इन बोलि कि, “तुम ईं दुनियां मा लूण का जन छाँ। अर अगर जु लूण को स्वाद बिगाड़ि जौ, त फिर वेतैं कनकै नमकीन किये जै सकदु? फिर उ कै काम को नि रौन्दु। तब लोग वेतैं भैर ढोळि देन्दिन, अर उ मनखियों का खुटों तौळ पितड़े जान्दु।
“लूण त अच्छु च, पर अगर जु लूण को स्वाद ही खतम ह्वे जौ, त फिर वेतैं कनकै लूणयां किये जै सकदु? इलै अपणा जीवनों तैं लूण जन शुद्ध रखा, अर एक-दुसरा का दगड़ा मा शान्ति से रा।”