“अर अगर जु तेरु हाथ त्वेसे पाप करौणु च त तू वेतैं काटी दे, किलैकि त्वे खुणि यू जादा खूब च कि तू अपंग ह्वेके सदनि का जीवन मा जा। अर अगर जु तू अपणा दुई हाथों समेत नरकलोक मा डळै जाणि छैई, त फिर त्वेतै क्या फैदा ह्वे। [
अर अगर जु तेरु खुटु त्वेसे पाप करौणु च त तू वेतैं काटी दे, किलैकि त्वे खुणि यू जादा खूब च कि तू लंगड़ु ह्वेके सदनि का जीवन मा जा। अर अगर जु तू अपणा दुई खुटों समेत नरकलोक मा डळै जाणि छैई, त फिर त्वेतै क्या फैदा ह्वे। [
त परमेस्वर का परकोप वे पर आलु। अर उ इन्द्रया लोगु तैं अपणा पवित्र स्वर्गदूतों अर मेम्ना की नजर का समणि ही आग अर गंधक की पीड़ा मा डालि द्यालु, जु ऊं खुणि परमेस्वर का गुस्से की दारु च ज्वा की ऊं पर अखणै जालि।
मगर डऽरपोक अर जु बिस्वास नि करदिन, अर अशुद्ध अर जु घिण वळा काम करदिन, अर कत्ल करण वळा, अर गळत सम्बन्ध बणौण वळा छिन, अर जु लोग जादु-टोंणा अर मूरत पूजा करदिन, अर सब झूठ्ठ बोन्न वळा लोगु को हिस्सा वीं आग मा होलु, ज्वा की गंधक से जगणी रौन्दी। अर या ही दुसरि मौत च।”