अर येका बाद जब यीशु का ग्यारा चेला खाणुक खाणु खुणि बैठयां छा, त वे बगत उ ऊंतैं दिखै। तब यीशु न ऊंका निठुर मन अर बिस्वास की कमी की वजै से ऊंतैं झिड़की, किलैकि ज्यून्द होण का बाद जौं लोगु न वेतैं देखि छौ, ऊंकी बातों पर भि यों न यकीन नि कैरी।
अर यीशु न मुड़ि के अपणा चेलों जनै देखि, अर पतरस कू झिड़की के बोलि, “हे शैतान, मेरा समणि बटि दूर ह्वे जा, किलैकि तेरी सोच परमेस्वर की बातों की तरौं नि च, बल्किन मा तेरु मन मनखियों की बातों पर लग्यूं रौन्दु।”
मगर चेला वेकी ईं बात तैं नि समझिनी, किलैकि ऊं बटि ईं बात को मतलब छिपयै गै। इलै ऊ यीशु की ईं बात तैं नि समझिनी, अर ऊ वे बटि ईं बात को मतलब पूछण से भि डऽरदा छा।
अर वेका चेला पैलि त यों बातों तैं नि समझिनी, पर जब ऊंन यीशु को बड़ु आदर-सम्मान होण देखि, तब ऊंतैं याद ऐ कि यू बात वेका बारा मा ही लिखीं छै, अर लोगु न भि वेका दगड़ा मा उन्नि कैरी।
तब यीशु तैं मालूम ह्वे गै, कि ऊ मि बटि कुछ पूछण चाणा छिन। इलै वेन ऊंकू बोलि, “मिन तुमकु बोलि कि, ‘थुड़ी देर बाद तुम मितैं नि दिखल्या, पर और थुड़ी देर बाद तुम मितैं फिर से दिखल्या।’ क्या येका बारा मा तुम आपस मा पूछताछ करणा छाँ, कि येको मतलब क्या च?
तबरि तक यीशु का चेला ऐ गैनी, अर वेतैं एक जनानि का दगड़ा मा बात करद देखि के ताजुब मा पोड़ि गैनी। पर ऊंमा बटि कैन भि वेतैं पूछी नि कि, “गुरुजी, तुम क्या चाणा छाँ? अर किलै वींका दगड़ा मा बात करणा छाँ?”