अर ऊंकी बातों तैं जाणि के वेन ऊंकू बोलि, “तुम मा रुट्टी नि च यां का खातिर तुम किलै इथगा विचार कना छाँ? क्या तुमुन मितैं अभि तक नि पछ्याणी, क्या तुम मेरा बारा मा अभि तक नि समझयां? क्या तुमरा मन निठुर ह्वे गैनी?
अर ईं बात तैं सुणी के यीशु न ऊंकू बोलि, “हे बिस्वास नि करण वळा पीढ़ी का लोगु, आखिर मि कब तक तुमरा दगड़ा मा रौलु? अर कब तक तुमरि सौलु? तुम वे नौना तैं इनै लेके आ।”
तब यीशु न वेकू बोलि, “फिलिप्पुस, मि इथगा दिनों बटि तुमरा दगड़ा मा छौं, क्या फिर भि तिन मितैं अभि तक नि पछ्याणी? अर जैन मितैं देखियाली, वेन पिता तैं भि देखियाली। त फिर तू कनकै बुलणि कि, ‘हमतै पिता का दरसन करै द्या?’
हे मेरा भै-बैंणो, जरा होस मा आ अर जु कुछ गळत च वेतैं करण छोड़ि द्या, किलैकि तुम मा बटि कुछ लोग इन छिन जु कि ईं बात तैं स्वीकार नि करदिन कि परमेस्वर मुरदो मा बटि ज्यून्द करलु। अर या बड़ा सरम की बात च, कि तुम मा बटि कुछ लोगु न अभि तक परमेस्वर तैं नि पछ्याणी।
अर या बात मि तुम खुणि इलै बोन्नु छौं, ताकि तुमतै खुद पर सरम अऽ। अर एक बात बता, क्या सच्चि मा तुमरा इख एक भि समझदार नि च, जु कि तुम बिस्वासी लोगु का वाद-विवाद तैं सुळझै सैको।