अर ठिक उन्नि कुई भि नयू अंगूरों को रस पुरणा चमड़ा का थैला मा नि भोरदु। अर अगर भोरलु, त नयू अंगूरों को रस पुरणा चमड़ा का थैला तैं फाड़ी देन्दु। अर चमड़ा को थैला भि खराब ह्वे जान्दु अर रस भि बोगि जान्दु। इलै नयू अंगूरों को रस नया चमड़ा का थैलों मा भोरण चयेणु, ताकि थैला अर रस दुईया का दुई बच्यां रा।”