यीशु न ऊंकू बोलि एक और उदारण सुणा, “एक घौर का मालिक न अंगूरों को एक बगिचा बणै, अर वेका चौतरफि बाड़ कैरी, अर रस निकळणु खुणि कोलु लगै अर रस जमा करणु खुणि खडलु भि बणै, अर बगिचे की देख-रेख करण वळा खुणि एक झोपड़ी भि बणै। अर बगिचा को ठेक्का किसानों तैं देके खुद वु देस चलि गै।
“इलै अब इन बता, जब बगिचा को मालिक आलु, त ऊं किसानों का दगड़ा मा क्या जि करलु? वु ऊं किसानों को नास करलु, अर अंगूरों को बगिचा दुसरा किसानों तैं दे द्यालु।