पर अब्राहम न बोलि, ‘बेटा, याद कैर तिन अपणा जीवन मा वु सब कुछ पै ज्यां की त्वेतै जरुरत छै, जब की लाजर न खैरि खै मगर अब वेतैं इख सुख-शान्ति मिलणी च, अर त्वेतै उख खैरि।
जु मनखि अजमैसों मा भि टिक्यूं रौन्दु उ धन्य च, किलैकि जब उ अजमैसों मा सफल ह्वे जान्दु, तब वेतैं जीवन को मुकुट मिललु। किलैकि जु मनखि परमेस्वर से प्यार करदु, वेतैं यू मुकुट देण को करार परमेस्वर न कर्युं च।
अर परमेस्वर ऊंका आंख्यों का सब आंसुओं तैं फुंजी द्यालु, फिर नऽ त मौत रैलि, ना शोक, नऽ रुंण-धुण अर ना ही कुई पीड़ा, किलैकि जु बात पैलि छै अब वु सब खतम ह्वे जालि।”