“जु कुई मेरा नौ से ये बच्चा तैं स्वीकार करदु उ मितैं स्वीकार करदु, अर जु कुई मितैं स्वीकार करदु उ वेतैं स्वीकार करदु जैन मितैं भेजि च। किलैकि तुम मा बटि जु कुई भि दीन बणि के चललु, उई सबसे खास होलु।”
अर ठिक इन्नि, हे ज्वान लोगु, तुम भि अध्यक्षों का अधीन मा रा, अर एक-दुसरा का दगड़ा मा नमर बरतौ रखा, किलैकि पवित्रशास्त्र मा इन लिख्यूं च कि, “परमेस्वर बड़ु मोन करण वळा लोगु का खिलाप मा रौन्दु, मगर दीन लोगु पर किरपा करदु।”