अर जु बीज ढुंग्याण जमीन पर पोड़ीनी, ऊ वु लोग छिन जु वचन तैं सुणी के खुशी से स्वीकार करदिन, अर कुछ बगत तक ऊ बिस्वास त करदिन, पर बिस्वास मा जड़ नि पकड़ण की वजै से जब अजमैस ऊंका जीवन मा औन्दिन, त ऊ बिस्वास करण छोड़ि देन्दिन।
अर जन कि पवित्रशास्त्र मा परमेस्वर बुल्दु कि, “अगर जु तुम आज मेरी आवाज तैं सुणिल्या, त अपणा मनों तैं निठुर नि कर्यां। जन कि तुमरा पितरों न निर्जन जगा मा मितैं गुस्सा दिलौण का बगत कैरी छौ।”