48 तब यीशु न वीं जनानि कू बोलि, “तेरा पाप माफ ह्वे गैनी।”
48 अर ऊंल वीं जनन मा बोलि, “तेरा पाप माफ हवे गैनी।”
अर सुणा, कुछ लोग एक लकवा का रोगी तैं बिस्तर का फंचा पर रखी के यीशु का पास लैनि। अर ऊं लोगु को बिस्वास देखि के यीशु न वेकू बोलि, “हिम्मत रख बेटा, तेरा पाप माफ ह्वे गैनी।”
अर इन बता क्या बोन्नु जादा सौंगु च? इन बुलण कि, ‘तेरा पाप माफ ह्वे गैनी,’ या इन बोन्न, ‘कि उठ अर हिटण लगि जा।’
ऊं लोगु को बिस्वास देखि के यीशु न वे मनखि कू बोलि, “बेटा, तेरा पाप माफ ह्वे गैनी।”
अर क्या बोन्नु जादा सौंगु च? इन बुलण कि, ‘तेरा पाप माफ ह्वे गैनी, या इन बोन्न कि, उठ, अर अपणा बिस्तर तैं उठौ अर हिटण लगि जा।’
तब यीशु न ऊं लोगु को बिस्वास देखि के वे मनखि कू बोलि, “बेटा, तेरा पाप माफ ह्वे गैनी।”
यों दुई बातों मा बटि क्या बोन्न सरल च? क्या इन बोन्न, ‘तेरा पाप माफ ह्वे गैनी,’ या इन बोन्न कि ‘उठ, अर हिटण लगि जा?’
इलै मि त्वे बटि बोन्नु छौं, कि ईं जनानि न जु भौत सरा पाप कर्यां छा, उ सब पाप माफ ह्वे गैनी। किलैकि ईं न मि बटि भौत प्यार कैरी, पर जैको कम माफ किये गै, उ प्यार भि कम करदु।”