इलै वु वेकी ताक मा लग्यां रैनी, इख तक की ऊंन जासूसों तैं भि भेजि कि वु धरमी मनखियों का जन बणि के वेकी कै बात तैं पकड़ा, ताकि तब वु वेकी वीं बात पर दोष लगै के वेतैं रोमी गवर्नर मा सौंपी सैका।
“हे शैतान की औलाद, अर सब अच्छे का दुसमन तू त झूठ्ठों अर धोखा देण वळु छैई, क्या तू प्रभु का सही बाटा बटि लोगु तैं गळत बाटा पर लि जाण कभि नि छोड़ि सकदी?
अर ना ही हम प्रभु तैं परखा कि उ कब तक हमरा दगड़ा मा च, किलैकि ऊंमा बटि भौत सा लोगु न इन्नि कैरी छौ। तब ऊंतैं दण्ड मिली, अर गुरौ न ऐके ऊंतैं काटी अर भौत सा लोग इनकै मोरि गैनी।
अर इन उ इलै कैरो किलैकि ईं दुनियां को ज्ञान परमेस्वर की नजर मा मूरखता च, जन कि पवित्रशास्त्र मा भि लिख्यूं च कि, “उ ज्ञानी लोगु तैं ऊंका खुद की चालाकी मा फंसै देन्दु।”
अर औण वळा बगत मा हम बच्चों का जन नि रा, जु कि झूठ्ठा गुरु लोगु की चालाकी अर धोखा देण वळी बातों तैं सच्च समझदिन, अर अपणा जीवन मा स्वीकार कैरिके वेका मुताबिक चलदिन। मेरा दगड़्यों, इन्द्रया लोगु को बिस्वास समुन्दर की लैरों का जन च, जु कि इनै-उनै होणी रौनदिन।
अर दुनियां मा इन्दरि कुई भि चीज नि च ज्वा कि पिता परमेस्वर की नजर से छिपी हो। अर हम सभ्यों न वेतैं अपणी-अपणी सब बातों को हिसाब-किताब देण च, अर वेकी आंख्यों का समणि सब चीज खुलि अर परगट छिन।