34 “लूण त अच्छु च, पर अगर जु लूण को स्वाद ही खतम ह्वे जौ, त फिर वेतैं कनकै लूणयां किये जै सकदु?
34 लूंण त खूब च पर जु वेको स्वाद बितड़ि जौं त वे तैं क्य ल ल्युणणो करिल्या?
तब यीशु न भीड़ का लोगु कू इन बोलि कि, “तुम ईं दुनियां मा लूण का जन छाँ। अर अगर जु लूण को स्वाद बिगाड़ि जौ, त फिर वेतैं कनकै नमकीन किये जै सकदु? फिर उ कै काम को नि रौन्दु। तब लोग वेतैं भैर ढोळि देन्दिन, अर उ मनखियों का खुटों तौळ पितड़े जान्दु।
अर बात-चित करण मा तुमतै दीन होण चयेणु, ताकि तुमरि बात सभ्यों तैं अच्छी लगौ, अर तुमतै हरेक बात को जबाब देण भि औण चयेणु।