30 अर बोलला कि, ‘देखा यू मनखि गढ़ बणाण चान्दु छौ, मगर येन पूरु नि बणै सैकी।’
30 “यु मनिख बनांण त लग्यूं छो पर तैयार नि कै सैकी”
अर बाद मा भौत खतरनाक बरखा ह्वे अर तूफान भि ऐ, इख तक कि गाड-गदिना ऐ गैनी, अर यू सब वे घौर पर टक्करैनी अर उ तुरन्त टूटी गै अर वेको छत्यनास ह्वे गै।”
अर जब उ मनखि बिन सोच्यां बुनियाद तैं रखी द्यो पर पूरु बणै नि सैको, त मि तुमतै बतै देन्दु कि, तब सब दिखण वळा लोग वेकू मजाक उड़ौण लगि जाला।
“अर फिर इन्द्रयो कु राजा होलु, जु दुसरा राजा का दगड़ा मा लड़ै करण कू जाणु हो, अर पैलि इन नि सोचो कि जु बीस हजार की फौज लेके मि बटि लड़णु खुणि औणु च, क्या मेरा दस हजार सिपै ऊंको मुकाबला कैर सकला या नि कैरी सकला?
अर जु लोग मि पर बिस्वास करदिन वु अपणा बिस्वास करण की वजै से ज्यून्दु राला, पर जु पिछनै हटि जनदिन ऊंतैं देखि कर मि दुखी होन्दु।”
पर हमरि या ही मनसा च कि तुम मा बटि हरेक मनखि आखिरी तक पूरि कोसिस कनु रौ, ताकि जौं बातों की तुमुन आस रखी ऊ पूरि ह्वे जौ।
अर जै काम खुणि हमुन मेनत कैरी, कखि तुम वेतैं हरचै नि द्या, इलै अपणा जीवनों खुणि चेतन रा, ताकि तुमतै वेको इनाम मिली सैको।