अर जब यीशु वे शास्त्री का इख बटि निकळि गै, त शास्त्री अर फरीसी दल का लोग वे बटि खार खाण लगि गैनी, अर वेका पिछनै पोड़ि गैनी। अर भौत सि बातों का बारा मा ऊ यीशु बटि सवाल-जबाब करण लगि गैनी।
इलै वु वेकी ताक मा लग्यां रैनी, इख तक की ऊंन जासूसों तैं भि भेजि कि वु धरमी मनखियों का जन बणि के वेकी कै बात तैं पकड़ा, ताकि तब वु वेकी वीं बात पर दोष लगै के वेतैं रोमी गवर्नर मा सौंपी सैका।
मगर साब तुम ऊंकी बात नि मणया, किलैकि ऊं लोगु मा बटि चालीस से भि जादा लोग छिन जु पौलुस तैं जान से मरण की ताक मा छिन। अर ऊं लोगु कि इन ठणि च कि जबरि तक हम पौलुस तैं जान से नि मारी द्यूला, तबरि तक हमुन कुछ खाण-पीण नि च। अर अब उ तयार छिन, अर तुमरा आदेस को इंतजार कना छिन।”