“अर जब कुई खबेस कै मनखि बटि भैर निकळदु, त उ खबेस सूखि जगों मा आराम करण की जगा खुज्यान्दु, अर जब वेतैं आराम करण की जगा नि मिलदी तब उ बुल्दु कि, ‘मि वापिस अपणा वे ही घौर मा चलि जौलु जख बटि निकळि छौं।’
फिर उ खबेस वापिस जैके अपणा दगड़ा मा सात और भि बुरा खबेसों तैं लेके औन्दु, अर ऊ वे मनखि मा रौण लगि जनदिन, अर तब वे मनखि की दसा पैलि से भि और बुरी ह्वे जान्दी।”