अर वेन ऊंतैं इजाजत दे दिनी। तब खबेसों की पलटण वे मनखि मा बटि निकळि के सुंगरों मा बैठि गैनी, अर सुंगरों को वु पूरु झुण्ड भौत तेजी से भ्योळ जनै भागी, अर वु सभ्या का सभि मूड़ी झील मा लमडी गैनी अर डुबी के मोरि गैनी। अर ये झुण्ड की संख्या दुई हजार का लगभग छै।
अर अब पिता परमेस्वर अपणी सामर्थ का द्वारा हमरा भितर काम कनु च अर जथगा हम मांगि या सोची सकद्यां, वु हम खुणि ऊं सब बातों से भि जादा बड़ा-बड़ा काम कैरी सकदु च,