4 “गुरुजी, या जनानि गळत सम्बन्ध रखण बगत पकड़ै गै।
4 “तब ऊंल यीशु बट्टी बोलि, गुरु जी या जनन व्यभिचार कन मा पकड़े गै।
अर यूसुफ जु की परमेस्वर की नजर मा एक धरमी मनखि छौ। जब वेतैं इन पता चलि कि वा गरवति च, त वेन अपणा मन मा इन ठाणि दिनी, कि चुपचाप वीं से मांगण तोड़ि द्यो। किलैकि उ वींतैं बदनाम नि करण चाणु छौ।
तब शास्त्री अर फरीसी दल का लोग एक जनानि तैं लेके ऐनी, ज्वा कि गळत सम्बन्ध रखण दौं पकड़ै गै। अर वीं जनानि तैं लोगु का बीच मा खड़ु कैरिके यीशु कू बोलि,
अर नियम-कानून मा मूसा न हमतै आज्ञा देई च, कि ‘इन्दरि जनानि पर ढुंग्यो लगै के जान से मार दिये जौ।’ पर तुम ईं जनानि का बारा मा क्या बुल्द्यां?”