“अर जु कुई भि वे पुत्र पर बिस्वास करदु, उ दोषी नि ठैरैये जालु, पर जु बिस्वास नि करदु, उ दोषी ठैरैये गै। किलैकि वेन परमेस्वर का इकलौता पुत्र पर बिस्वास नि कैरी।
अर जु कुई वे पुत्र पर बिस्वास करदु, वेतैं ही सदनि को जीवन मिलदु। अर जु कुई पुत्र पर बिस्वास नि करदु, वेतैं जीवन नि मिललु, बल्किन मा परमेस्वर को परकोप वे पर पोड़दु।”
“अर मि तुम बटि सच्चि ही बोन्नु छौं, कि जु कुई मेरा वचनों तैं सुणी के मेरु भेजण वळा पर बिस्वास करदु, त जाणि ल्या की सदनि को जीवन वेकू ही च। अब वे पर दण्ड की आज्ञा नि ह्वेलि, किलैकि वेन मौत तैं भि पार कैरियाली अर वेतैं सदनि को जीवन मिली गै।
तुम नास होण वळा खाणु खुणि ना, बल्किन मा वे खाणुक खुणि मेनत कैरा जु कि सदनि का जीवन तक रौन्दु। अर उ खाणुक मनखि को पुत्र ही तुमतै द्यालु, किलैकि यू देणु खुणि पिता परमेस्वर न वेतैं यू अधिकार दियूं च।”
अर या वा रुट्टी च, ज्वा स्वर्ग बटि अईं च। अर या वीं रुट्टी का जन नि च, जींतैं तुमरा पितरों न खै फिर भि मोरि गैनी, पर जु कुई स्वर्ग बटि अईं ईं रुट्टी तैं खालु उ सदनि ज्यून्दु रालु।”