अर उख भीड़ मा एक जनानि छै, जींतैं बारह सालों बटि ल्वे बुगणो को रोग छौ। अर ये इलाज का बाना वींन अपणा जीवन की पूरि कमै बैदों पर खर्च कैरी दिनी, पर कैन भि वींतैं खूब नि कैरी सैकी।
फिर येका बाद यीशु वे मनखि तैं मन्दिर मा मिली अर वेकू बोलि, “देख, तू खूब ह्वे गै। अब येका बाद पाप नि कैरी, कखि इन ना हो कि त्वे पर येसे भि जादा विपदा ऐ जौ।”
किलैकि परमेस्वर को स्वर्गदूत कभि-कभि ही कुण्ड मा उतरि के वे पाणि तैं हिलांदु छौ। अर पाणि हिलण का बाद जु मनखि उखुन्द पैलि जान्दु छौ, उ कन्दरि भि बिमारि मा किलै ना हो, उ खूब ह्वे जान्दु छौ।]
पर हम यू नि जणद्यां, कि उ कनकै दिखण लगि गै अर यू भि नि जणद्यां, कि कैन वेतैं खूब कैरी। पर तुम वेतैं ही पूछील्या, किलैकि अब उ बड़ु ह्वे गै अर उ अपणा बारा मा अफि बोलि सकदु च।”
अर ये मन्दिर का गेट पर जैकू सुन्दर गेट बुले जान्दु, लोग जनम का एक लंगड़ा मनखि तैं हर दिन ये गेट का पास बैठे देन्दा छा, ताकि यू भैर-भितर जाण वळा लोगु बटि भीक मांगु, अर इन्नि ये दिन भि ह्वे।
अर लोग परमेस्वर की बडै इलै करणा छा, किलैकि यू मनखि जु पतरस अर यूहन्ना का द्वारा चमत्कार कैरिके खूब ह्वे छौ, उ चालीस साल से मथि छौ अर पैदा होण का बगत बटि ही लंगड़ा छौ।