पर उख बटि निकळदि ही वे मनखि न ईं बात को परचार करण शुरु कैर दिनी। अर वेन या बात इथगा फैलै दिनी, कि यीशु को नगर मा खुलाआम जाण मुस्किल ह्वे गै, इलै यीशु नगर का भैर निर्जन जगों मा रै, मगर फिर भि लोग अलग-अलग जगों बटि वेका पास औणा छा।
अर उ दिन सब्त को दिन छौ, अर ये दिन यहूदी लोग कुछ काम नि करदिन। इलै ऊंन वेकू जु खूब ह्वे गै छौ बोलि, “आज त सब्त को दिन च, इलै त्वेकू यू ठिक नि च, कि तू अपणा बिस्तर तैं उठौ।”
इलै यहूदी वेतैं और भि जादा जान से मरणे की फिराक मा लगि गैनी। किलैकि उ नऽ त केवल सब्त का दिन की विधि तैं तोड़दु छौ, बल्किन परमेस्वर तैं पिता बोलि के अफु तैं वेका बराबर ठैरै देन्दु छौ।
फिर फरीसी दल का लोगु न भि वेतैं पूछी, “तू कनकै दिखण लगि गै?” तब वेन ऊंतैं जबाब देई, “वेन माटा तैं भिजे अर मेरा आंख्यों पर लगै, फिर मिन ध्वेइ अर दिखण लगि ग्यों।”