“हे पिता, दुनियां की शुरुवात से पैलि जब मि तुमरा दगड़ा मा छौ, तब मितैं बड़ु आदर-सम्मान मिलदु छौ, अर अब जब तुमरा दगड़ा मा रौलु त उई आदर-सम्मान मितैं मिलु।”
“अर जु स्वर्ग बटि औन्दु उ सभ्यों मदि महान च। अर जु दुनियां बटि औन्दु उ दुनियां को ही च, अर दुनियां की ही बात तैं बुल्दु, पर जु स्वर्ग बटि औन्दु उ सभ्यों मदि महान च।
तब यीशु न ऊंकू बोलि कि, “अगर परमेस्वर तुमरो पिता होन्दु, त तुम मि बटि प्यार करदा, किलैकि मि परमेस्वर मा बटि ही निकळि के इख अयूं छौं। अर मि अपणी तरफा बटि नि अयूं, पर वेन ही मितैं भेजि च।
इलै अपणी अर अपणा बिस्वासी समुदाय की देख-रेख ढंगल कैरा, किलैकि पवित्र आत्मा न तुमतै यां खुणि ही ठैर्युं च, ताकि तुम परमेस्वर का समुदाय की देख-रेख अच्छे से कैरी सैका, जै समुदाय तैं प्रभु न अपणु बलिदान देके खरीदयाली।
मगर बिस्वास का द्वारा पिता परमेस्वर की नजर मा धरमी साबित होण का बारा मा पवित्रशास्त्र मा कुछ इन लिख्यूं च कि, “तुम अपणा मन मा इन नि सोचा, कि कु च वु जु कि स्वर्ग जालु?” (अर ईं बात को मतलब यू च कि कु च वु, जु कि मसीह तैं धरती पर मूड़ी लेके आलु)।