तब पतरस उठी अर कबर जनै दौड़ी के गै, अर जब वेन निसो ह्वेके भितर देखि, त वेतैं केवल कफन को कपड़ा उख पोड़्यूं दिखै। अर यू सब देखि के उ हकदक रै गै अर फिर वापिस चलि गै।
देखा, अब उ बगत औणु च, बल्किन मा ऐ भि गै। जब तुम सभि मितैं इखुली छोड़ि के तितर-बितर ह्वे जैल्या, अर अपणा-अपणा बाटों पर चलि जैल्या। तभि भि मि इखुली नि छौं, किलैकि मेरु पिता मेरा दगड़ा मा च।