मगर ऊ अपणा भितर वचन की जड़ तैं जमण नि देन्दिन, अर वु वचन भि वेमा कुछ बगत तक ही रौन्दु। इलै वचन की वजै से जब कुई भि दुख-तकलीफ या सतौ ऊंका जीवन मा औन्दिन, तब वु लोग तुरन्त बिस्वास करण छोड़ि देन्दिन।
अर यू बात मिन तुमतै इलै बतैनि, ताकि जब उ बगत आलु त तुमतै याद ऐ जौ, कि मिन यू सब पैलि ही तुमतै बतैयालि छौ। अर मिन यू बात शुरु बटि इलै नि बतैनि, किलैकि मि तुमरा दगड़ा मा छौ।”
तुम खुणि भली बात त या ही च, कि नऽ त तुम मांस खा, अर ना ही तुम दारु प्या, अर ना कुई इन्द्रयो काम कैरा ज्यां से की कुई दुसरो बिस्वासी भै या बैंण पाप करण लगि जौ।
ताकि तुम भलै अर बुरै की बातों मा बटि भलै की बातों तैं जादा से जादा स्वीकार कैरी सैका, अर यीशु मसीह का वापस औण का दिन तक एक खरु अर निरदोष मनखि बणि के रै सैका।
अर ऊं लोगु खुणि इन भि लिख्यूं च कि, “यू ढुंगो ऊं खुणि उतेडु़ बणि गै, अर एक इन्द्रयो पौड़ जै बटि फिसली के वु लमडी गैनी।” किलैकि ऊ लोग परमेस्वर का वचन मा लिखीं बातों को पालन नि करदिन, इलै ऊंतैं उतेडु़ लगि। अर इन्द्रया लोगु खुणि पिता परमेस्वर न या ही योजना बणै के रखी च।