हरेक मनखि को आदर-सम्मान कैरा, अर जु बिस्वासी भै-बैंणा तुमरा दगड़ा मा छिन, ऊं से प्यार कैरा। अर पिता परमेस्वर पर अपणी पूरि सरदा रखा, अर राजा को आदर-सम्मान कैरा।
हे मेरी बैंण, अब मि त्वेतै कुई नई आज्ञा नि देणु, बल्किन मा मि त्वेतै वीं ही आज्ञा का बारा मा लिखणु छौं, ज्वा कि शुरुवात बटि हमतै मिली च, अर मि त्वेसे बिन्ती करदु कि हम एक-दुसरा का दगड़ा मा प्यार से रा।