“पर जब यू नौकर राजा का पास बटि निकळि गै, त उ अफ दगड़ा का नौकरों मा बटि वे नौकर से मिली, जैन वेका हजार रुपया देण छा। अर येन वेको गौळो दबै के बोलि, ‘जु करज तेरु मि बटि लियूं च वेतैं अभि वापिस दे।’
अर जु कुछ तुमरा पास च वेतैं बेचि के जरुरतमन्द लोगु तैं दे द्या। अर स्वर्ग मा अफु खुणि इन्द्रया बटुवा बणावा जु कभि पुरणा नि होनदिन, अर वामा अफु खुणि इन्द्रयो धन इकट्ठा कैरा, जु कभि खतम नि होन्दु अर जैका नजदीक चोर नि ऐ सकदु अर ना ही वे पर कभि कीड़ु लगदु।
अर यू सुणी के यीशु न वेकू बोलि, “त्वेमा अभि भि एक बात की कमी च। इन कैर कि जु कुछ भि त्वेमा च, ऊ सब कुछ बेचि दे अर वे बटि जु कुछ भि मिललु वु सब गरीबों मा बांटि दे, अर ऐके मेरु चेला बणि जा तब त्वेतै स्वर्ग मा खजानु मिललु।”
अर वेन या बात इलै नि बोलि, कि वेतैं गरीब लोगु की चिन्ता-फिकर छै। पर उ त चोर छौ, अर रुपयों की थैली भि वेमा ही रौन्दी छै। अर जु कुछ भि उखुन्द डळै जान्दु छौ, उ वामा बटि निकाळि देन्दु छौ।
अर ऊंमा बटि कुछ न सोची, कि त्योवार मा जु-जु चीज जरुरी छिन, ऊंतैं मोल लिणा का बानो, या त गरीबों मा दान बंटणा का खातिर वेन इन बोलि होलु। किलैकि यहूदा मा पैसौं की थैली रौन्दी छै।