याकूब 4:5 - Garhwali5 अर तुम क्या सोचद्यां कि ज्वा बात पवित्रशास्त्र मा लिखीं च वा सुद्दी च? “ज्वा आत्मा पिता परमेस्वर न मनखि तैं देई, कखि वा आत्मा वे बटि दूर नि ह्वे जौ, वेका खातिर वेतैं जलन होन्दी।” အခန်းကိုကြည့်ပါ။गढवली नयो नियम5 तुम क्य समझदियां, कि पिता परमेश्वर कु वचन क्य बुल्दो? “जै पवित्र आत्मा तैं वेल हमारा भितर बसयूँ च” इलै पिता परमेश्वर चांदु च कि हम वेकी ही आराधना कैरा। အခန်းကိုကြည့်ပါ။ |
अर मनखि खुद परमेस्वर को मन्दिर च, किलैकि ज्यून्द परमेस्वर अपणी पवित्र आत्मा का द्वारा हम मा रौन्दु, इलै मूरतों का दगड़ा मा परमेस्वर का मन्दिर को कुई रिश्ता नि च। अर जन कि पवित्रशास्त्र मा भि लिख्यूं च की परमेस्वर इन बुल्दु कि, “मि ऊंमा रौलु, अर ऊंका दगड़ा मा चललु, अर मि ऊंको परमेस्वर होलु, अर ऊ मेरा लोग होला।”