अर जब पिता परमेस्वर न आराम कैरी, त वीं ही जगा मा औणु खुणि वेन हमतै भि न्यूत्युं च हम जु की वे पर बिस्वास करद्यां, ताकि हम भि वीं जगा मा दाखिल ह्वे सैका। अर या बात इनकै सच्चि साबित होन्दी, किलैकि एक बार पिता परमेस्वर न मनखियों तैं देखि के बोलि कि, “मिन गुस्सा मा ऐके इन कसम खै की, ‘यू लोग मेरा आराम की जगा मा कभि भि दाखिल नि होला।’”